हमारे आस-पास के पदार्थ
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-से पदार्थ हैं?
कुर्सी, वायु, स्नेह, गंध, घृणा, बादाम, विचार, शीत, नींबू पानी, इत्र की सुगन्ध।
उत्तर: कुर्सी, वायु, बादाम, नींबू पानी।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रेक्षण के कारण बताएँ गर्मा-गरम खाने की गंध कई मीटर दूर से ही आपके पास पहुँच जाती है लेकिन ठण्डे खाने की महक लेने के लिए आपको उसके पास जाना पड़ता है।
उत्तर: पदार्थ के कण निरन्तर गतिशील होते हैं और ताप बढ़ाने पर उनकी गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है इसलिए गर्मा-गरम खाने की गंध अधिक गतिज ऊर्जा होने के कारण दूर तक हमारे पास चली आती है और ठण्डे खाने की गंध नगण्य गतिज ऊर्जा होने के कारण दूर तक नहीं जा पाती। अतः उसकी महक लेने के लिए हमको उसके पास जाना पड़ता है।
प्रश्न 3. स्वीमिंग पूल में गोताखोर पानी काट पाता है। इससे पदार्थ का कौन-सा गुण प्रेक्षित होता है?
उत्तर: पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं और इस आकर्षण बल का सामर्थ्य प्रत्येक पदार्थ में अलग-अलग होता है। जल के कणों में आकर्षण बल कम होता है। अतः जब गोताखोर जल में अपने हाथ-पैर चलाता है तो जल के कणों में आकर्षण बल टूट जाता है और वह पानी को आसानी से काट पाता है।
प्रश्न 4. पदार्थ के कणों की क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर: पदार्थ के कणों की विशेषताएँ-
- इनके बीच रिक्त स्थान होता है।
- ये निरन्तर गतिशील होते हैं। इससे इनमें गतिज ऊर्जा होती है।
- ये परस्पर आकर्षित करते हैं।
प्रश्न 1. किसी तत्व के द्रव्यमान प्रति इकाई आयतन को घनत्व कहते हैं। (घनत्व = द्रव्यमान/आयतन) बढ़ते हुए घनत्व के क्रम में निम्नलिखित को व्यवस्थित करें वायु, चिमनी का धुआँ, शहद, जल, चॉक, रुई, लोहा।
उत्तर: चिमनी का धुआँ, वायु, रुई, जल, चॉक, शहद, लोहा।
प्रश्न 2. (a) पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं के गुणों में होने वाले अन्तर को सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर: पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं के गुणों में अन्तर
उत्तर: दृढ़ता – “बाह्य बल लगाने पर पदार्थों का अपना आकार न बदलने की प्रवृत्ति दृढ़ता कहलाती है।” ठोस पदार्थों में अत्यधिक दृढ़ता होती है। बाह्य बल लगाने पर ठोस टूट सकते हैं लेकिन अपना आकार नहीं बदलते।
सम्पीडयता – “बाह्य बल लगाने पर पदार्थों का अपना आयतन बदलने की प्रवृत्ति सम्पीडयता कहलाती है।” गैसीय पदार्थों की सम्पीडयता सर्वाधिक एवं ठोसों की न्यूनतम होती है।
तरलता – “पदार्थों के कणों की परतों के एक-दूसरे पर फिसलने के कारण बहने की प्रवृत्ति तरलता कहलाती है। द्रवों में तरलता का गुण पाया जाता है।
बर्तन में गैस का भरना – गैसों के कण अनियमित रूप से हर दिशा में विचरण करते हैं तथा ज्यादातर ऊपर की ओर। इसलिए किसी बर्तन में गैस भरने के लिए गैस को सम्पीडित किया जाता है।
आकार – “पदार्थ के कणों की क्रमित व्यवस्था उसका आकार कहलाता है।” ठोसों का आकार निश्चित होता है। द्रव एवं गैस का आकार निश्चित नहीं होता। वे उस बर्तन का आकार ग्रहण कर लेते हैं जिसमें उन्हें रखा जाता है।
गतिज ऊर्जा – “किसी पदार्थ के कणों में उनकी गति के कारण जो ऊर्जा होती है वह गतिज ऊर्जा कहलाती है।” ठोस पदार्थों में गतिज ऊर्जा न्यूनतम तथा गैसों में अधिकतम होती है और द्रवों में ठोस एवं गैस के मध्यवर्ती।
घनत्व – “किसी पदार्थ के एकांक आयतन का द्रव्यमान उस पदार्थ का घनत्व कहलाता है।” कुछ अपवादों को छोड़कर प्रायः ठोसों का घनत्व अधिक एवं गैसों का कम होता है और द्रवों का ठोस एवं गैस के मध्यवर्ती।
उत्तर: गैस के कणों की हर सम्भव दिशा में अनियमित तथा तीव्र गति के कारण गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर देती है जिसमें इसे रखते हैं।
(b) कारण बताएँ-गैस बर्तन की दीवारों पर दबाव डालती है।’
उत्तर: गैस अपने कणों की तीव्र एवं अनियमित गति के कारण बर्तन की दीवारों से टकराती है जिसके फलस्वरूप दीवारों पर प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले बल के कारण गैस बर्तन की दीवारों पर दबाव डालती है।
(c) कारण बताएँ-लकड़ी की मेज ठोस कहलाती है।
उत्तर: लकड़ी की मेज का आयतन एवं आकार निश्चित होता है, उसके कणों में तरलता एवं सम्पीड्यता नगण्य होती है। इसलिए लकड़ी की मेज ठोस कहलाती है।
(d) कारण बताएँ-हवा में हम आसानी से अपना हाथ चला सकते हैं, लेकिन एक ठोस लकड़ी के टुकड़े में हाथ चलाने के लिए हमें कराटे में दक्ष होना पड़ता है।
उत्तर: सामान्यतया ठोस पदार्थों की अपेक्षा द्रवों का घनत्व कम होता है लेकिन जल जब ठंडा होकर बर्फ बनाता है तो उसके कणों के मध्य रिक्त स्थान में वृद्धि होती है जिसके परिणामस्वरूप उसके आयतन में भी वृद्धि हो जाती है। अतः बर्फ का घनत्व जल के घनत्व से कम हो जाता है फलस्वरूप बर्फ का टुकड़ा जल पर तैरता है।
(a) 300 K,
(b) 573 K.
हल:
(a) °C =K- 273
= 300 – 273 = 27°C
(b) °C =K – 273
= 573 – 273 = 300°C
(a) 250°C,
(b) 100°C.
उत्तर:
(a)250°C पर जल की गैसीय अवस्था होगी।
(b) 100°C पर जल की द्रव एवं गैसीय अवस्था होगी।
उत्तर: अवस्था परिवर्तन के समय दी गयी ऊष्मा उस पदार्थ में गुप्त ऊष्मा (प्रसुप्त ऊष्मा या छिपी हुई ऊष्मा) के रूप में पदार्थ में निहित हो जाती है इसलिए पदार्थ का तापमान स्थिर रहता है।
उत्तर: वायुमण्डलीय गैसों को द्रव में परिवर्तित करने के लिए हम उसका तापमान कम करेंगे तथा उस पर दाब बढ़ाएँगे।
उत्तर: गर्म एवं शुष्क दिन में वायुमण्डल का तापमान अधिक एवं आर्द्रता कम हो जाती है जिसके कारण वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है फलस्वरूप कूलर अधिक ठण्डा करता है।
उत्तर: घड़े के रन्ध्रों में से होकर जल रिस-रिसकर बाहर आता है जिसका वाष्पीकरण गर्मियों में तापमान अधिक होने के कारण तीव्रता से होता है। वाष्पीकरण के लिए आवश्यक ऊष्मा घड़े के जल से ली जाती है फलस्वरूप घड़े का जल ठंडा हो जाता है।
उत्तर: ऐसीटोन/पेट्रोल या इत्र का क्वथनांक कम होने से इनका वाष्पीकरण जल्दी होता है। वाष्पीकरण के लिए ये हमारी हथेली से ऊष्मा लेते हैं, इस कारण हमारी हथेली ठंडी हो जाती है।
उत्तर: कप की अपेक्षा प्लेट में रखे गर्म दूध या चाय का सतह क्षेत्र अधिक होने के कारण वाष्पीकरण की दर अधिक होती है जिसके फलस्वरूप दूध या चाय जल्दी ठंडी हो जाती है। इसलिए कप की अपेक्षा प्लेट से हम गर्म दूध या चाय जल्दी पी जाते हैं।
उत्तर: सूती कपड़े।
पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर
हल:
(a) °C = K – 273
= 300 – 273 = 27°C
(b) °C = K – 273
= 573 – 273 = 300°C
(a) 25°C,
(b)373°C.
हल:
(a) K = °C + 273
=25 + 273 = 298 K
K = °C+ 273
= 373 + 273 = 646 K
(a) नैफ्थलीन को रखा रहने देने पर यह समय के साथ कुछ भी ठोस पदार्थ छोड़े बिना अदृश्य हो जाती है।
(b) हमें इत्र की गंध बहुत दूर बैठे हुए भी पहुँच जाती है।
उत्तर: (a) नैफ्थलीन को रखा रहने देने पर यह वायुमण्डल के ताप पर ही ऊर्ध्वपातन की क्रिया द्वारा वाष्प में परिवर्तित होकर वायुमण्डल में पूर्ण रूप से अदृश्य हो जाती है और कुछ भी ठोस पदार्थ शेष नहीं रहता।
(b) इत्र की वाष्प का वायुमण्डल में विसरण बहुत तीव्रता से होता है जिसके फलस्वरूप इत्र की गंध हमारे पास बहुत दूर बैठे हुए भी पहुँच जाती है।
(a) जल,
(b) चीनी,
(c) ऑक्सीजन।
उत्तर: (c) ऑक्सीजन,
(b) चीनी।
(a) 25°C,
(b) 0°C,
(c) 100°C.
उत्तर:
(a) द्रव अवस्था।
(b) ठोस एवं द्रव अवस्था।
(c) द्रव एवं गैसीय अवस्था।
(a) जल कमरे के ताप पर द्रव है।
(b) लोहे की अलमारी कमरे के ताप पर ठोस है।
उत्तर: (a) कमरे के ताप पर जल का आयतन निश्चित है तथा इसे किसी बर्तन में डालने पर उसका आकार ग्रहण कर लेता है। इसके अतिरिक्त जल में तरलता का गुण भी है इसलिए जल कमरे के ताप पर द्रव है।
(b) कमरे के ताप पर लोहे की अलमारी का आकार एवं आयतन निश्चित है। इसमें तरलता एवं सम्पीड्यता का गुण नहीं पाया जाता तथा यह सुदृढ़ है इसलिए कमरे के ताप पर लोहे की अलमारी ठोस है।
उत्तर: 273 K पर जल की अपेक्षा इसी ताप पर बर्फ को गुप्त ऊष्मा के रूप में अतिरिक्त ऊष्मा की आवश्यकता होती है इसलिए शीतलता का प्रभाव अधिक होता है।
उत्तर: भाप में।
परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर(बहु-विकल्पीय प्रश्न)
(a) विसरण, वाष्पन, गैसों का सम्पीडन
(b) वाष्पन, गैसों का सम्पीडन, विलेयता
(c) वाष्पन, विसरण, गैसों का प्रसार
(d) वाष्पन, विलेयता, विसरण, गैसों का सम्पीडन।
उत्तर: (c) वाष्पन, विसरण, गैसों का प्रसार
(a) निम्न ताप, निम्न दाब
(b) उच्च ताप, निम्न दाब
(c) निम्न ताप, उच्च दाब
(d) उच्च ताप, उच्च दाब।
उत्तर: (c) निम्न ताप, उच्च दाब
(a) केवल गैसें तरल के समान व्यवहार करती हैं
(b) गैस तथा ठोस तरल के समान व्यवहार करते हैं
(c) गैस तथा द्रव तरल के समान व्यवहार करते हैं
(d) केवल द्रव तरल के समान व्यवहार करते हैं।
उत्तर: (c) गैस तथा द्रव तरल के समान व्यवहार करते हैं
(a) विसरण
(b) वाष्पोत्सर्जन
(c) परासरण
(d) वाष्पन (वाष्पीकरण)।
उत्तर: (d) वाष्पन (वाष्पीकरण)
(a) जल, वायु, पवन
(b) वायु, शर्करा, तेल
(c) ऑक्सीजन, जल, शर्करा
(d) नमक, इत्र, वायु।
उत्तर: (c) ऑक्सीजन, जल, शर्करा
(a)298 K, 311 K, 339 K
(b)298 K, 300 K, 338 K
(c) 298 K, 278 K, 543 K
(d) 298 K,310 K, 338 K.
उत्तर: (a)298 K,311 K,339 K
(a) ठोस तथा द्रव अवस्था से गुजरे बिना वाष्प में रूपान्तरण वाष्पन कहलाता है
(b) वाष्प का द्रव अवस्था से गुजरे बिना ठोस में रूपान्तरण ऊर्ध्वपातन कहलाता है
(c) वाष्प का द्रव अवस्था से गुजरे बिना ठोस में रूपान्तरण हिमीकरण कहलाता है
(d) ठोस का द्रव में रूपान्तरण ऊर्ध्वपातन कहलाता है।
उत्तर: (b) वाष्प का द्रव अवस्था से गुजरे बिना ठोस में रूपान्तरण ऊर्ध्वपातन कहलाता है
(a) 306 K, 329 K, 391 K
(b) 308 K, 329 K, 392 K
(c) 308 K, 329 K, 391 K
(d) 329 K, 392 K, 308 K
उत्तर: (c) 308 K, 329 K, 391 K
(a) जल के तापमान में वृद्धि
(b) जल के तापमान में कमी
(c) जल का कम खुला पृष्ठीय क्षेत्रफल
(d) जल में नमक मिलाना।
उत्तर: (a) जल के तापमान में वृद्धि
(i) बन्द पात्र में भरी हाइड्रोजन गैस पर दाब बढ़ाकर
(ii) कुछ हाइड्रोजन गैस का पात्र से रिसाव होने पर
(iii) हाइड्रोजन गैस के पात्र का आयतन बढ़ाकर
(iv) पात्र का आयतन बढ़ाये बिना पात्र में अधिक हाइड्रोजन गैस मिलाने पर।
(a) (i) तथा (iii)
(b) (i) तथा (iv)
(c) (ii) तथा (iii)
(d) (ii) तथा (iv)।
उत्तर: (c) (ii) तथा (iii)
(a) आयोडीन
(b) कपूर
(c) अमोनियम क्लोराइड
(d) नमक।
उत्तर: (d) नमक
(a) सोडियम
(b) पारा
(c) आयोडीन
(d) चाँदी।
उत्तर: (b) पारा
(a) केल्विन
(b) न्यूटन
(c) पास्कल
(d) जूल।
उत्तर: (a) केल्विन
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- कक्ष ताप पर एक द्रव के वाष्पन से …………… प्रभाव होता है।
- कक्ष ताप पर ठोस के कणों के मध्य आकर्षण बल, गैसीय अवस्था में विद्यमान आकर्षण बलों की तुलना में ……………. होते हैं।
- …………….. अवस्था में कणों का विन्यास क्रम क्रमित होता है। यद्यपि …………….. अवस्था में कोई क्रम नहीं होता।
- ठोस अवस्था का …………… अवस्था से गुजरे बिना सीधे गैस अवस्था में परिवर्तन होता है।
- क्वथनांक से कम ताप पर द्रव के वाष्प अवस्था में परिवर्तन की परिघटना …………… कहलाती है।
- पदार्थ ………….. अवस्थाओं में होता है।
- तापमान बढ़ाने पर कणों की गतिज ऊर्जा …………. है।
- पदार्थ में सम्पीडयता का गुण ……………. अवस्था में सर्वाधिक होता है।
- शीतलन,
- अधिक,
- ठोस, गैस,
- द्रव, ऊर्ध्वपातन,
- वाष्पीकरण (वाष्पन),
- तीन,
- बढ़ती,
- गैस।
सही जोड़ी बनाना
- ठोस का द्रव में परिवर्तन (i) संघननब
- द्रव का गैस में परिवर्तन (ii) जमना (हिमीकरण)
- ठोस का सीधे गैस में परिवर्तन (iii) संगलन
- गैस का द्रव में परिवर्तन (iv) वाष्पीकरण
- द्रव का ठोस में परिवर्तन (v) ऊर्ध्वपातन
- → (iii)
- → (iv)
- → (v)
- → (i)
- → (ii)
सत्य/असत्य कथन
- अशुद्ध जल 100°C (373 K) तापमान पर उबलता है।
- अवस्था परिवर्तन के समय स्थिर तापमान पर पदार्थ को दी गई ऊष्मा गुप्त ऊष्मा कहलाती है।
- पदार्थ के कणों के मध्य कोई भी रिक्त स्थान नहीं होता है।
- ठोसों की सम्पीडयता नगण्य होती है।
- द्रव के तापमान का वाष्पीकरण की दर पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है।
- असत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- असत्य।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
उत्तर :- विसरण।
उत्तर :- ठोस।
उत्तर :- 100°C या 373 K.
उत्तर : 0°C या 273 K.
उत्तर: गैसीय अवस्था।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
उत्तर: पदार्थ-“विश्व में प्रत्येक वस्तु जिस सामग्री से बनी होती है तथा जिसमें द्रव्यमान एवं आयतन होता है, वह पदार्थ कहलाती है।”
उदाहरण: कार्बन, पारा, ऑक्सीजन, नमक आदि।
उत्तर: पदार्थ की तीन अवस्थाएँ ठोस, द्रव एवं गैस होती हैं।
- ठोस का उदाहरण – लकड़ी, लोहा आदि।
- द्रव का उदाहरण – जल, दूध आदि।
- गैस का उदाहरण – हवा, ऑक्सीजन आदि।
उत्तर: विसरण – “दो पदार्थों के कणों का स्वतः मिलना विसरण कहलाता है।”
उदाहरण: पानी भरे बीकर में स्याही की एक बूंद डालने पर वह सम्पूर्ण जल में फैल जाती है।
उत्तर: गलनांक – “वह स्थिर ताप जिस पर कोई ठोस द्रव अवस्था में परिवर्तित होता है, गलनांक कहलाता है।” शुद्ध बर्फ का गलनांक-0°C अथवा 273 K.
उत्तर: क्वथनांक-“वह स्थिर ताप जिस पर कोई द्रव वाष्प में बदलता है, क्वथनांक कहलाता है।” शुद्ध जल का क्वथनांक-100°C या 373 K.
उत्तर: गलन (संगलन) की प्रसुप्त (गुप्त) ऊष्मा-“वायुमण्डलीय दाब पर 1 kg शुद्ध ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा उस ठोस की गलन (संगलन) की प्रसुप्त (गुप्त) ऊष्मा कहलाती है।”
उत्तर: वाष्पन (वाष्पीकरण) की प्रसुप्त (गुप्त) ऊष्मा-“वायुमण्डलीय दाब पर 1 kg शुद्ध द्रव को उसके क्वथनांक पर वाष्प में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक ऊष्मा उस द्रव की वाष्यन (वाष्पीकरण) की प्रसुप्त (गुप्त) ऊष्मा कहलाती है।”
उत्तर: वाष्पन (वाष्पीकरण)-“किसी द्रव का उसके क्वथनांक से नीचे तापमान पर स्वतः ही वाष्प में बदलने की घटना वाष्पन (वाष्पीकरण) कहलाती है।”
उत्तर: संघनन – “किसी गैस के द्रव अवस्था में बदलने की घटना संघनन कहलाती है।”
उत्तर: क्वथन – “किसी द्रव को गर्म करने पर उसके क्वथनांक पर उसके वाष्प में बदलने की घटना क्वथन कहलाती है।”
उत्तर: ऊर्ध्वपातन – “किसी ठोस पदार्थ को गर्म करने पर उसके बिना द्रव अवस्था में बदले सीधे गैस अवस्था में बदलने की घटना अथवा किसी गैस पदार्थ को ठंडा करने पर बिना द्रव में बदले सीधे ठोस अवस्था में बदलने की घटना ऊर्ध्वपातन कहलाती है।”
लघु उत्तरीय प्रश्न
उत्तर: ठोस के सामान्य गुण-
- इसके कणों के मध्य रिक्त स्थान न्यूनतम होता है।
- इसके कणों की गति तथा गतिज ऊर्जा न्यूनतम होती है।
- इसके कणों के मध्य आकर्षण बल अधिकतम होता है।
- इसका आयतन एवं आकार स्थिर रहता है अर्थात् नगण्य सम्पीडयता होती है। अत: ये दृढ़ होते हैं।
उत्तर: द्रवों के सामान्य गुण-
- इनका आयतन तो स्थिर रहता है लेकिन आकार स्थिर नहीं रहता।
- इनमें बहाव होता है इसलिए तरलता का गुण होता है।
- इनमें ठोस, द्रव एवं गैसों का विसरण सम्भव होता है।
- ये ठोसों की अपेक्षा अधिक संपीडय होते हैं।
उत्तर: गैसों के सामान्य लक्षण-
- इनका न तो आकार स्थिर होता है और न आयतन। ये जिस पात्र में रखी जाती हैं उसी का आकार एवं आयतन ग्रहण कर लेती हैं।
- ये अत्यधिक तरल होती हैं।
- इनमें अत्यधिक संपीड्यता का गुण पाया जाता है।
- इनमें अत्यधिक विसरण का गुण पाया जाता है।
उत्तर: वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक-
- द्रव का सतही क्षेत्रफल जितना अधिक होगा वाष्पन की दर भी उतनी ही अधिक होगी।
- तापमान में वृद्धि से अधिक ऊर्जा मिलने के कारण अधिक वाष्पीकरण होता है।
- वायुमण्डल की आर्द्रता वाष्पन की दर को कम कर देती है।
- वायु की गति वाष्पन की दर को बढ़ा देती है।
उत्तर: चूँकि शुद्ध जल का क्वथनांक 100°C होता है और दिये हुए जल का क्वथन 102°C पर होता है अतः दिया गया जल अशुद्ध जल है।
चूँकि नमूने का जल अशुद्ध है अत: वह 0°C पर नहीं जमेगा।
उत्तर: ग्राफ (a) ताप में परिवर्तन का संही निरूपण करता है क्योंकि गर्म जल का प्रारम्भिक ताप 0°C से अधिक है। ठंडा होने पर तापमान गिरता जाता है तथा 0°C पर पहुँच जाता है। इसके बाद जल का हिमीकरण प्रारम्भ हो जाता है और जब तक सम्पूर्ण जल बर्फ में परिवर्तित नहीं हो जाता, जल का तापमान 0°C पर स्थिर रहता है। जब सम्पूर्ण जल बर्फ में परिवर्तित हो जाता है तो पुनः जल (बर्फ) का तापमान गिरना प्रारम्भ कर देता है।
प्रश्न 9. (a) ठोस का वाष्प में रूपान्तरण ऊर्ध्वपातन कहलाता है। वाष्प के ठोस में व्यक्त करने वाले पद का नाम दीजिए।
(b) ठोस अवस्था का द्रव अवस्था में रूपान्तरण गलन कहलाता है। गलन की गुप्त ऊष्मा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
(a) ऊर्ध्वपातन।
(b) गलन (संगलन) की प्रसुप्त (गुप्त) ऊष्मा – “वायुमण्डलीय दाब पर 1 kg शुद्ध ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा उस ठोस की गलन (संगलन) की प्रसुप्त (गुप्त) ऊष्मा कहलाती है।”
प्रश्न 10. “परासरण एक विशिष्ट प्रकार का विसरण है।” टिप्पणी कीजिए।
उत्तर: विसरण में एक पदार्थ के कण दूसरे पदार्थ के कणों में स्वतः ही मिल जाते हैं। परासरण में भी एक पदार्थ के कण दूसरे पदार्थ के कणों में स्वतः ही मिलते हैं। लेकिन यह प्रक्रिया दो द्रवों के बीच होती है तथा उनकी सान्द्रता की भिन्नता पर निर्भर करती है एवं एक झिल्ली द्वारा होती है। अतः परासरण एक विशिष्ट प्रकार का विसरण है।
प्रश्न 11. बर्फ के रूप में जल शीतलन प्रभाव रखता है जबकि भाप के रूप में जल गम्भीर जलन कर सकता है। इन प्रेक्षणों को समझाइए।
उत्तर: बर्फ पिघलने के लिए गुप्त ऊष्मा के रूप में हमारे शरीर से ऊष्मा ग्रहण करती है तथा उसका ताप भी 0°C होता है जिससे शीतलन का अनुभव होता है जबकि वाष्प (भाप) संघनित होने के लिए गुप्त ऊष्मा के रूप में पर्याप्त मात्रा में ऊष्मा बाहर निकालती है जिसको हमारा शरीर ग्रहण करता है। इसके अतिरिक्त भाप का तापमान भी 100°C होता है इसलिए भाप के रूप में जल गम्भीर जलन करता है।
प्रश्न 12. अलका एक केतली में चाय बना रही थी। उसने केतली की टोंटी से निकलती हुई भाप के झोंके से अचानक अत्यधिक ऊष्मा महसूस की। उसे आश्चर्य हुआ कि केतली में उबलते हुए जल की तुलना में भाप का तापमान अधिक था। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर: केतली में उबलते जल का तापमान 100°C होता है तथा भाप भी इसी ताप पर बनती है लेकिन खौलते जल की अपेक्षा उसमें अत्यधिक मात्रा में गुप्त ऊष्मा के रूप में ऊष्मा की अतिरिक्त मात्रा होती है जो वह वाष्प बनने में ग्रहण करती है। इसलिए केतली के खौलते जल की अपेक्षा केतली से निकलने वाली भाप अधिक जलन पैदा करती है इसलिए अलका को खौलते जल की अपेक्षा केतली से निकलने वाली भाप का . तापमान अधिक महसूस हुआ।
प्रश्न 13. ग्रीष्मकाल में प्रियांशी तथा अली ने क्रमशः सूती तथा नाइलोन के वस्त्र पहन रखे हैं। आपकी समझ में कौन अधिक आरामदायक होगा और क्यों?
उत्तर: प्रियांशी ने सूती कपड़े पहन रखे हैं इसलिए वह अधिक आरामदायक रहेगी क्योंकि ग्रीष्मकाल में हमको अधिक पसीना आता है और सूती कपड़े अधिक पसीने को सोखते हैं तथा नाइलोन के कपड़े पसीने को कम सोख पाते हैं। कपड़ों के द्वारा अवशोषित पसीने का वाष्पन होता है तथा पसीना वाष्पन के लिए वाष्पन की गुप्त ऊष्मा के रूप में हमारे शरीर से ऊष्मा ग्रहण करता है और हमको शीतलता का अनुभव होता है।
प्रश्न 14. एक पार्टी में आप अपनी प्रिय शर्ट पहनना चाहते हो। समस्या है कि वह धोने के पश्चात् अभी भी गीली है। इसको शीघ्रता से सुखाने के लिए आप क्या कदम उठाएँगे?
उत्तर: हम गीली शर्ट को फैलाकर खुले में जहाँ धूप हो तथा तेजी से हवा भी चल रही हो, डाल देते हैं। अधिक सतही क्षेत्रफल, अधिक ताप एवं अधिक वायु का वेग शर्ट में उपस्थित जल के वाष्पन की दर को बढ़ा देंगे। इससे उपस्थित जल अधिक से अधिक मात्रा में शीघ्र वाष्पीकृत हो जायेगा और शर्ट शीघ्र ही सूख जायेगी।
प्रश्न 15. गलनांक तथा क्वथनांक पर किसी पदार्थ का ताप स्थिर क्यों रहता है?
उत्तर: गलनांक पर पदार्थ को जो ऊष्मा दी जाती है वह उस ठोस पदार्थ से अवशोषित कर ली जाती है तथा वह उसके कणों के मध्य लगने वाले पारस्परिक आकर्षण बल को वशीभूत करके पदार्थ की अवस्था को बदलने में इसको व्यय कर देता है। इसलिए उस पदार्थ का तापमान स्थिर रहता है। इसी प्रकार क्वथनांक पर द्रवों के कणों में इतनी ऊर्जा आ जाती है कि वे परस्पर आकर्षण बल को तोड़कर स्वतन्त्र हो जाते हैं तथा द्रव ऊष्मा गुप्त ऊष्मा के रूप में अवस्था परिवर्तन के लिए प्रयुक्त हो जाती है इसलिए तापमान स्थिर रहता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित को परासरण/विसरण में वर्गीकृत कीजिए-
(a) जल में रखने पर किशमिश का फूलना।
(b) छींकने पर वायरस का फैलना।
(c) नमक के सम्पर्क में आने पर केंचुए का मरना।
(d) शक्कर की गाढ़ी चासनी में रखने पर अंगूर का सिकुड़ना।
(e) लवण में अचार का परिरक्षण।
(f) केक को सेंकने पर उसकी गन्ध का पूरे घर में फैलना।
(g) श्वसन के दौरान जल में घुलित ऑक्सीजन का जलीय प्राणियों द्वारा उपयोग।
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर टिप्पणी कीजिए
(a) वाष्पन, शीतलन उत्पन्न करता है।
(b) आर्द्रता बढ़ने पर एक जलीय विलयन के वाष्पन की दर घटती है।
(c) स्पंज यद्यपि संपीडय है, फिर भी एक ठोस है।
उत्तर: (a) वाष्पन के दौरान गुप्त ऊष्मा के रूप में कम हुई ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए द्रव के कण आस-पास से ऊष्मा का अवशोषण करते हैं। इस कारण आस-पास का तापमान कम हो जाता है इसलिए वाष्पन, शीतलन उत्पन्न करता है।
(b) जब वायुमण्डल में आर्द्रता बढ़ती है तो उसमें जलवाष्प की मात्रा बढ़ जाती है और वायु में जलवाष्प की और अधिक अवशोषण की क्षमता कम हो जाती है, फलस्वरूप विलयन के वाष्पन की दर घटती है।
(c) स्पंज में बहुत सारे छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिनमें वायु का समावेश होता है। जब हम इसे दबाते हैं तो वे वायु बाहर निकाल देते हैं जिससे इसका संपीडन होता है लेकिन इनमें तरलता का गुण नगण्य होता है अर्थात् ये बहते नहीं चाहे इन्हें कहीं भी रखा जाय लेकिन इनका आयतन एवं आकार स्थिर रहता है। इसलिए स्पंज ठोस होता है।
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