Class 10th Social Science अध्याय - 5 मानचित्र पठन एवं अंकन

मानचित्र पठन एवं अंकन

सही विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1. भारत में मौसम मानचित्रों का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ
(i) 1853 में
(ii) 1947 में
(iii) 1950 में
(iv) 1875 में।
उत्तर: (iv) 1875 में।
प्रश्न 2. भारत में मौसम मानचित्रों का प्रकाशन होता है
(i) कोलकाता से
(ii) दिल्ली से
(iii) पुणे से
(iv) हैदराबाद से।
उत्तर: (iii) पुणे से
प्रश्न 3. भारतवर्ष में मौसम विभाग विभाजित है
(i) 6 क्षेत्रों में
(ii) 4 क्षेत्रों में
(iii) 5 क्षेत्रों में
(iv) 8 क्षेत्रों में।
उत्तर: (iii) 5 क्षेत्रों में

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. अन्तर्राष्ट्रीय मौसम संकेतों को 1935 में मौसम विज्ञान संघ द्वारा ………….. में मान्यता दी गयी।
  2. ब्यूफोर्ट ………….. की जल सेना से सम्बन्धित थे।
  3. वायुवेग मापने का नियोजन सर्वप्रथम ………….. किया गया था।
उत्तर:-
  1. वारसा (इटली)
  2. ब्रिटिश
  3. 1805

सही जोड़ी मिलाइए:-

             स्तम्भ अ                         स्तम्भ ब
  1. मन्द समीर                         (क) प्रभंजन
  2. सर्वाधिक तीव्र                     (ख)वायु वेग 
  3. Cm (calm)                  (ग) वायु वेग 25-31 मील
  4. प्रबल समीर                        (घ) शान्त
उत्तर:-
  1. → (ख)
  2. → (क)
  3. → (घ)
  4. → (ग)

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.नॉट क्या है?
उत्तर:नॉट वायु वेग नापने की इकाई, एक नॉट 1.85 किमी. के बराबर होता है। इसका अर्थ है कि वायु की गति 1.85 किमी. प्रति घण्टा है या 1 नॉट = एक समुद्री मील के बराबर होता है।
प्रश्न 2.भारत में भूकम्पमापी केन्द्र कितने हैं?
उत्तर:भारत में 22 भूकम्पमापी केन्द्र हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.मौसम संकेतों से क्या आशय है?
उत्तर:मौसम संकेतों का आशय-प्रेक्षण शालाओं से प्राप्त मौसम तत्वों को मानचित्र पर अंकों, चिह्नों या प्रतीकों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। ये अंक, चिह्न या प्रतीक अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त होते हैं। इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय मौसम संकेत कहा जाता है। इन संकेतों को 1935 में वारसा (इटली) में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संघ द्वारा मान्यता प्रदान की गयी थी। प्रमुख मौसम संकेत निम्न प्रकार हैं
  1. वायुमापन संकेत
  2. वर्षा मापनी संकेत
  3. मेघाच्छादन संकेत
  4. समुद्री तरंग संकेत।
प्रश्न 2.मौसम मानचित्र तैयार करने हेतु मौसम सूचनाएँ कैसे एकत्रित की जाती हैं?
उत्तर: मौसम मानचित्र तैयार करने हेतु मौसम सूचनाएँ निम्न प्रकार एकत्रित की जाती हैं –
  1. मौसम मानचित्रों को तैयार करने हेतु वेधशालाओं, वायुयानों के पायलटों, गुब्बारों तथा जलयानों से मौसम सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं।
  2. वेधशालाओं में निम्न मौसमी तत्वों की जानकारी एकत्रित की जाती है-तापमान, वर्षा, वायु की गति एवं दिशा आपेक्षिक आर्द्रता, सूर्य प्रकाश की अवधि, समुद्र की दशा, वर्तमान एवं पूर्व मौसम।
  3. मौसम मानचित्रों में मौसम के तत्वों का चिह्नों द्वारा अंकन किया जाता है।
  4. मौसम मानचित्र में सूचनाओं को प्रेषित करने हेतु कूट संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, जिनका विशिष्ट अभिप्राय होता है।
  5. मौसम मानचित्र तैयार करने हेतु मौसमी दशाओं/तत्वों का निरीक्षण एवं अभिलेखन वेधशालाओं में प्रातः 8:30 व सायंकाल 5.30 बजे होता है।
प्रश्न 3.मौसम मानचित्र में मौसमी दशाओं को कैसे व्यक्त किया जाता है?
उत्तर: प्रेक्षण शालाओं से प्राप्त मौसम तत्वों को मानचित्र पर अंकों, चिह्नों या प्रतीकों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। ये अंक, चिह्न या प्रतीक अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त होते हैं। इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय मौसम संकेत कहा जाता है।
प्रश्न 4. दिए गए वायु मापन में संकेत चिह्नों को पहचानिए व उनका नाम व वेग लिखिए –

उत्तर:-
  1. शान्त
  2. धीर समीर
  3. प्रबल समीर
  4. झंझा
  5. झंझावात।
प्रश्न 5.दिए गए मेघाच्छादन संकेत चिह्नों को पहचानिए व उनकी मात्रा व स्तर को लिखिए –

उत्तर:-
  1. मात्रा 1/8; निम्नस्तर
  2. 1/8; उच्च स्तर
  3. मात्रा 3/8; निम्न स्तर
  4. मात्रा 1/4; निम्न स्तर
  5. मात्रा 7/8; निम्न स्तर
  6. मात्रा 8/8; निम्न स्तर
  7. मात्रा 1/2; उच्च स्तर
  8. मात्रा 5/8; उच्च स्तर
  9. सूर्य प्रकाश; उच्च स्तर
प्रश्न 6. दिए गए समताप रेखाओं द्वारा निर्मित वायुमण्डलीय दशाओं को पहचानकर लिखिए –

उत्तर:- चक्रवात, एवं प्रतिचक्रवात।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.मौसम मानचित्र से प्राप्त पूर्वानुमान कहाँ अत्यधिक उपयोगी है? मौसम मानचित्रों का महत्त्व लिखिए।
                                अथवा
मौसम मानचित्र की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर:मौसम मानचित्रों से प्राप्त पूर्वानुमानों की उपयोगिता-मौसम मानचित्र से प्राप्त पूर्वानुमान नौ संचालन, वायुयान की सुरक्षित उड़ान, प्राकृतिक आपदाओं के दुष्प्रभावों का निरीक्षण करने में, कृषि की उचित देखभाल तथा समुद्रतट पर रहने वाले मछुआरों को समुद्र की दिशा चक्रवात (समुद्री तूफान) से सावधान करने में यह अत्यन्त उपयोगी हैं।
मौसम मानचित्रों का महत्त्व-मौसम मानचित्रों के प्रमुख महत्त्व निम्नलिखित हैं –
  1. मौसम मानचित्रों की सहायता से प्राकृतिक आपदाओं; जैसे–बाढ़, भूकम्प, सूखा आदि के जनजीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का पूर्वानुमान लगता है।
  2. ये मानचित्र नाविकों तथा वैज्ञानिकों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं।
  3. वायुयान चालकों के लिए यह मानचित्र महत्त्वपूर्ण होते हैं।
  4. इन मानचित्रों की सहायता से मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इसे समाचार-पत्रों एवं दूरदर्शन के माध्यम से प्रसारित कर अतिवृष्टि, भूकम्प, ओलावृष्टि, तूफान एवं हिमपात जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जन-सामान्य को सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।
प्रश्न 2.निम्न मौसमी दशाओं को स्पष्ट करने हेतु संकेत बनाइए
  1. कुहरा
  2. ओला
  3. सम्पूर्ण मेघाच्छादन
  4. हिम
  5. वर्षा
  6. कुहासा
  7. धुन्ध
  8. तड़ित झंझा
  9. फुहार
उत्तर:-
प्रश्न 3. दिए गए मौसम मानचित्र की व्याख्या निम्नलिखित बिन्दुओं पर कीजिए –
  1. चक्रवात व गौण चक्रवात का क्षेत्र
  2. वायुफान का क्षेत्र
  3. प्रतिचक्रवात का क्षेत्र।
उत्तर:-
  1. चक्रवात व गौण चक्रवात का क्षेत्र - चक्रवात की समदाब रेखाएँ मन्द होती हैं और इसके भीतर अल्पतम दाब होता है। इसीलिए इसको अल्पदाब अवस्था भी कहते हैं। अल्पतम दाब केन्द्र गर्त रेखाओं का प्रतिच्छेदन बिन्दु होता है, इसीलिए बाहर से हवाएँ भीतर की ओर जाती हैं। उत्तरी गोलार्द्ध चक्रवात की वायु वामावर्त दिशा में और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त दिशा में चलती हैं। ये चक्रवात स्थायी वायुदाब के प्रवाह की निश्चित दिशा में आगे बढ़ते हैं। उपर्युक्त मानचित्र में चक्रवात व गौण चक्रवात की स्थिति को 990 मिलीबार व 992 मिलीबार की समदाब रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया गया है जिससे स्पष्ट होता है कि गहरे अवदाब में केन्द्र का वायुदाब बहुत कम होता है और छिछले अवदाब में केन्द्र का वायुदाब थोड़ा ही कम होता है। गहरा अवदाब एक से अधिक समदाब रेखाओं से घिरा होता है और छिछला अवदाब केवल एक समदाब रेखा से घिरा होता है और अन्य समदाब रेखाओं से अंशतः घिरा होता है। छिछले अवदाब में समदाब रेखाएँ दूर-दूर और गहरे अवदाब में निकट-निकट अंकित रहती हैं। इसमें वायुराशि एकत्रित होती है, ऊपर उठती है और ठण्डी होकर बादल तथा वर्षा का रूप ग्रहण करती है।
  2. वायुफान का क्षेत्र - यह एक त्रिभुजाकार उच्चदाब का क्षेत्र होता है। मानचित्र (5.5) में यह 994 मिलीबार की समदाब की रेखा द्वारा प्रदर्शित किया गया है जिससे स्पष्ट होता है इसकी समदाब रेखाएँ वी-आकार की होती हैं, जिनका शीर्ष गोल होता है और अल्पदाब के क्षेत्र की ओर इंगित करता है। इसके मध्य में सबसे अधिक वायुदाब रहता है और शीर्ष तथा किनारे की दाब क्रमशः कम होती जाती है। प्रधान चक्रवात के साथ इसका बढ़ाव आगे होता है। सर्वोच्च दाब बिन्दु और शीर्ष बिन्दु को मिलाने वाली रेखा शिखर रेखा कहलाती है।
  3. प्रतिचक्रवात का क्षेत्र - चक्रवात के विपरीत प्रतिचक्रवात होते हैं। इनके केन्द्र में उच्च दाब का स्थान होता है। इसको उच्चदाब अवस्था भी कहते हैं। मानचित्र (5.5) में इसे 1000 मिलीबार की समदाब रेखा द्वारा प्रदर्शित किया गया है जिससे स्पष्ट होता है कि इसकी समदाब रेखाएँ प्रायः वृत्ताकार होती हैं और हवाओं की दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में वामावर्त होती हैं। इसमें केन्द्र से बाहर की ओर वायु चलती है। इसमें दाब प्रवणता कम होती है। प्रतिचक्रवात शक्तिहीन होते हैं और एक ही स्थान पर देर तक रुके रहते हैं।

बहु-विकल्पीय

प्रश्न 1. अन्तर्राष्ट्रीय मौसम संकेत को कब और कहाँ मान्यता प्रदान की गई?
(i) 1945 में दिल्ली में
(ii) 1948 में फ्रांस में
(iii) 1935 में वारसा (इटली) में
(iv) 1955 में जेनेवा में।
उत्तर: (iii) 1935 में वारसा (इटली) में
प्रश्न 2. पश्चिमी तट पर वायु वेग है
(i) 5 नॉट के लगभग
(ii) 7 नॉट के लगभग
(iii) 15 नॉट के लगभग
(iv) 10 नॉट के लगभग।
उत्तर: (iv) 10 नॉट के लगभग।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. मौसम मानचित्र में वायुदाब ………….. में दर्शायी जाती है।
  2. मौसम मानचित्र तैयार करने हेतु मौसम दशाओं एवं तत्वों के निरीक्षण एवं अभिलेखन का केन्द्र ………….. कहलाता है।
उत्तर:-
  1. मिलीबार
  2. वेधशाला।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1. भारत में मौसम विभाग की स्थापना 1880 ई. में हुई थी।
उत्तर:असत्य
प्रश्न 2.मेघ की छाया वृत्तों द्वारा प्रदर्शित की जाती है।
उत्तर: सत्य
प्रश्न 3. मौसम मानचित्र में वायुदाब मिलीबार में दर्शाया जाता है।
उत्तर: सत्य
प्रश्न 4.वायु वेग नापने की इकाई, एक नॉट 1.85 किमी. के बराबर होता है।
उत्तर:सत्य।

जोड़ी मिलाइए:-

                    स्तम्भ अ                         स्तम्भ ब
  1. मौसम विभाग की स्थापना                 (क) 1875
  2. अन्तर्राष्ट्रीय मौसम संकेत                  (ख) 1864
  3. मौसम मानचित्रों का प्रकाशन              (ग) 1935
उत्तर:-
  1. → (ख)
  2. → (ग)
  3. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.भारत में मौसम विभाग की स्थापना किस सोसाइटी के सुझाव पर हुई?
उत्तर: एशियाटिक सोसायटी
प्रश्न 2. मौसम विभाग का.प्रधान कार्यालय कहाँ है?
उत्तर: दिल्ली
प्रश्न 3. भारतीय मानचित्रों में किस ऊँचाई के मेघ दिखाये जाते हैं?
उत्तर: निम्न व मध्यम
प्रश्न 4. वायु वेग नापने की इकाई क्या है?
उत्तर: नॉट
प्रश्न 5. वायु के आकस्मिक प्रचण्ड झोंके जो स्वत: कुछ समय बाद समाप्त हो जाते हैं, को क्या कहते हैं?
उत्तर: झंझा।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. प्रमुख वर्षा संकेत स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: प्रमुख वर्षा संकेत –
प्रश्न 2.झंझा का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: पेड़ की टहनियाँ टूटने लगती हैं और चलना-फिरना कठिन हो जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मौसम मानचित्र से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: मौसम मानचित्र-इस प्रकार के मानचित्र जिसमें पृथ्वी के किसी भाग में घटित मौसम सम्बन्धी दशाओं (जैसे-तापमान की स्थिति, वायुदाब, वर्षा, पवन की दिशा एवं वेग, मेघाच्छादन) को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित संकेतों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है, मौसम मानचित्र कहलाते हैं।
प्रश्न 2. मौसम मानचित्र की व्याख्या के प्रमुख बिन्दु कौन-कौनसे हैं?
उत्तर: मौसम मानचित्र की व्याख्या के प्रमुख बिन्दु:-
  1. प्रस्तावना – दिन, तिथि तथा समय।
  2. तापमान का विचलन – शीत लहर और उष्ण लहर ज्ञात करने में सहायक।
  3. वायुदाब का विचलन – वायुदाब का सामान्य वितरण उच्च व न्यूनदाब क्षेत्र।
  4. समदाब रेखाओं की उपनति, वायुदाब की प्रवणता, चक्रवातों की गति।
  5. सामान्य वायु दाब से प्रमाण।
  6. वायु दिशा एवं वायु वेग।
  7. वृष्टि-सामान्य से अधिक या कम वर्षा के क्षेत्र, वर्षा की मात्रा।
  8. मेघ-बादल के प्रकार (उच्च व निम्न) तथा मेघाच्छादन या मेघ की प्रकृति तथा मात्रा।
  9. वायुमण्डलीय घटनाएँ-धुन्ध, कोहरा, विद्युत, धूल-आँधी, वज्रघोष, शिलावृष्टि।
  10. समुद्र की दिशा।
  11. भविष्यवाणी-मानचित्रों के आधार पर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. प्रमुख समुद्री तरंग-संकेतक स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: समुद्री तरंग-संकेतक समुद्री तरंग की दिशा अक्षरों के रूप में प्रदर्शित की जाती है। प्रमुख समुद्री तरंग संकेतक निम्न प्रकार दर्शाये गये हैं –

प्रश्न 2. प्रमुख वायु मापन संकेतों को स्पष्ट करते हुए उनके प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: वायु मापन संकेत

प्रश्न 3. भारत के मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए
  1. कराकोरम पवर्तमाला
  2. सतपुड़ा
  3. अरावली
  4. नीलगिरि।
  5. भारत में हिमालय का सर्वोच्च शिखर (माउण्ट एवरेस्ट)।
  6. छोटा नागपुर का पठार। 
  7. गंगा 
  8. ब्रह्मपुत्र
  9. कृष्णा
  10. कावेरी
  11. नर्मदा। 
  12. सर्वाधिक वर्षा का क्षेत्र (चेरापूँजी/मौसिनराम)। 
  13. बंगाल की खाड़ी। 
  14. कन्याकुमारी।
उत्तर:-
 
प्रश्न 4. भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाइए –
  1. जूट उत्पादक क्षेत्र
  2. गन्ना उत्पादक क्षेत्र
  3. काली मिट्टी का क्षेत्र या कपास उत्पादक क्षेत्र
  4. चाय उत्पादक क्षेत्र 
  5. रबर उत्पादक क्षेत्र 
  6. चावल उत्पादक क्षेत्र।

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