विद्युत
प्रश्न 1. विद्युत् परिपथ का क्या अर्थ है?
उत्तर: विद्युत् परिपथ:- “किसी विद्युत् धारा के सतत बन्द पथ को विद्युत् परिपथ कहते हैं।”
प्रश्न 2. विद्युत् धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर: विद्युत् धारा का S.I. मात्रक ऐम्पियर होता है।
एक ऐम्पियर:- “यदि किसी चालक के परिच्छेद से प्रति सेकण्ड 1 कूलॉम आवेश प्रवाहित हो जाता है, तो उस चालक में बहने वाली विद्युत् धारा की मात्रा 1 ऐम्पियर कहलाती है।”
प्रश्न 3. एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिकलित कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 224
प्रश्न 1. उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवान्तर बनाए रखने में सहायता करती है?
उत्तर: विद्युत् सेल या बैटरी।
प्रश्न 2. यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 17 है?
उत्तर: जब एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक 1 कूलॉम धनावेश को ले जाने में 1 जूल कार्य करना पड़े तो उन दोनों बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 1 वोल्ट (1 V) होता है।
प्रश्न 3. 6V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
उत्तर: 6 जूल ऊर्जा।
प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 232
प्रश्न 1. किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर: किसी चालक का प्रतिरोध निम्न कारकों पर निर्भर करता है –
- चालक की लम्बाई।
- चालक की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल।
- चालक के पदार्थ की प्रकृति पर।
प्रश्न 2. समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला है तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत् धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत् स्रोत में संयोजित किया जाता है? क्यों?
उत्तर: मोटे तार में होकर क्योंकि इसका विद्युत् प्रतिरोध कम है।
प्रश्न 3. मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवान्तर को उसके पूर्व के विभवान्तर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत् धारा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर: विद्युत् धारा का मान आधा रह जायेगा।
प्रश्न 4. विद्युत् टोस्टरों तथा विद्युत् इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के क्यों बनाये जाते हैं?
उत्तर: शुद्ध धातुओं की अपेक्षा किसी मिश्रातु की प्रतिरोधकता अधिक होती है। इसलिए अधिक प्रतिरोध उत्पन्न करने के लिए विद्युत् टोस्टरों तथा विद्युत् इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर मिश्रातु के बनाये जाते हैं।
प्रश्न 5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाठ्य-पुस्तक की तालिका 12.2 में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिए –
- आयरन (Fe) तथा मरकरी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत् चालक है?
- कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है?
उत्तर:
- आयरन (Fe) तथा मरकरी (Hg) में आयरन (Fe) अच्छा विद्युत् चालक है।
- सर्वश्रेष्ठ चालक सिल्वर (Ag) है।
प्रश्न श्रृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 237
प्रश्न 1. किसी विद्युत् परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 2V के तीन सेलों की बैटरी, एक 5 Ω प्रतिरोधक, एक 8 Ω प्रतिरोधक, एक 12 Ω प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों?
उत्तर: विद्युत् परिपथ का अभीष्ट व्यवस्था आरेख –
प्रश्न 2. प्रश्न 1 का परिपथ दुबारा खींचिए तथा इसमें प्रतिरोधकों से प्रवाहित विद्युत् धारा को मापने के लिए अमीटर तथा 12 Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर मापने के लिए वोल्टमीटर लगाइए। अमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्यांक होंगे?
उत्तर: विद्युत् परिपथ का अभीष्ट व्यवस्था आरेख –
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विद्युत् परिपथ |
संख्यात्मक भाग –
प्रश्न श्रृंखला-5 # पृष्ठ संख्या 240प्रश्न 1. जब (a) 1 Ω तथा 106 Ω, (b) 1 Ω, 103 Ω तथा 106 Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं तो इनके तुल्य प्रतिरोध के सम्बन्ध में आप क्या निर्णय लेंगे?
उत्तर: दोनों ही अवस्था में तुल्य प्रतिरोध का मान 1 Ω से कम होगा।हल: दिया है:
R1 = 100 Ω, R2 = 50 Ω एवं R3 = 500 Ω तथा V = 220 V
मान लीजिए कि इस्तरी का प्रतिरोध R Ω है।
चूँकि इस्तरी समान स्रोत से जुड़ने पर तीनों युक्तियों के तुल्य विद्युत् धारा लेती है अतः इस्तरी का प्रतिरोध तीनों युक्तियों के तुल्य प्रतिरोध के बराबर होगा और चूँकि ये युक्ति पार्यक्रम में संयोजित है।
उत्तर – अतः इस्तरी का अभीष्ट प्रतिरोध 1254 Ω अर्थात् 31.25 Ω है तथा इसमें से अभीष्ट धारा = 7.04A प्रवाहित होगी।
प्रश्न 3. श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत् युक्तियों को पार्यक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर: श्रेणीक्रम में संयोजित युक्तियों में समान धारा प्रवाहित होती है जबकि प्रत्येक युक्ति को उनके ठीक प्रकार कार्य सम्पादन हेतु अलग-अलग धाराओं की आवश्यकता होती है जो पार्श्वक्रम में ही सम्भव है श्रेणीक्रम में नहीं।
इसके अतिरिक्त एक युक्ति के खराब होने पर श्रेणीक्रम में सभी युक्तियाँ कार्य करना बन्द कर देंगी जबकि पार्श्वक्रम में एक युक्ति के खराब होने या बन्द होने की स्थिति में अन्य युक्तियाँ कार्य करती रहेंगी।
श्रेणीक्रम में हम इच्छानुसार एक या अधिक युक्तियों को प्रयोग में नहीं ला सकते, सभी युक्तियों को एक साथ ही प्रयोग में लाना होगा जबकि पार्श्वक्रम में हम ऐसा कर सकते हैं। इसलिए युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करते हैं।
प्रश्न श्रृंखला-6 # पृष्ठ संख्या 242
प्रश्न 1. किसी विद्युत् हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है।
उत्तर: विद्युत् हीटर की डोरी का प्रतिरोध नगण्य होता है। इसलिए वह उत्तप्त नहीं होती जबकि उसके तापन अवयव का प्रतिरोध अधिक होने से उसमें अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है और वह उत्तप्त हो जाता है।
प्रश्न 2. एक घण्टे में 50 V विभवान्तर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानान्तरित करने में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
हल:
दिया है: V = 50 V एवं q= 96000 C
ऊष्मा = V × q = 50 V × 96000 C = 48,00,000 J
अतः अभीष्ट उत्पन्न ऊष्मा = 48,00,000 J अर्थात् 4,800 kJ – उत्तर
प्रश्न 3. 20 Ω प्रतिरोध की कोई विद्युत् इस्तरी 5 A विद्युत्धारा लेती है, 30 s में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
हल:
दिया है: R = 20 Ω, I = 5 A, t = 30s
चूँकि
उत्पन्न ऊष्मा = I2Rt = (5)2
× 20 × 30 J = 15,000 J अर्थात् 15 kJ.
अत: अभीष्ट उत्पन्न ऊष्मा = 15,000 J अर्थात् 15 kJ – उत्तर
उत्तर: विद्युत् धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण विद्युत् धारा की मात्रा एवं विभवान्तर के गुणनफल के द्वारा किया जाता है।
अर्थात्
प्रदत्त विद्युत् ऊर्जा की दर = विद्युत् सामर्थ्य
P = विभवान्तर V × विद्युत् धारा I ⇒ P = VI
प्रश्न 2. कोई विद्युत् मोटर 220 V के विद्युत् स्रोत से 5.0 A की विद्युत् धारा लेता है। मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घण्टे में मोटर द्वारा उपयुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए।हल:दिया है:
विभवान्तर V = 220 V, विद्युत् धारा i = 5.0 A, समय t = 2 घण्टे।
चूँकि मोटर की शक्ति P = VI = 220 × 5.0 = 1100 W
11001000 = 1.1 kW
2 घण्टे में उपयुक्त ऊर्जा = 2 × 1.1 = 2.2 kWh
अतः मोटर की अभीष्ट सामर्थ्य = 1.1 kW एवं 2 घण्टे में उपयुक्त ऊर्जा की अभीष्ट मात्रा = 2.2 kWh –
उत्तर
(a) 1/25
(b) 1/5
(c) 5
(d) 25
उत्तर: (d) 25
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सा पद विद्युत् परिपथ में विद्युत् शक्ति को निरूपित नहीं करता?
(a) I2R
(b) IR2
(c) VI
(d) V2/R
उत्तर: (b) IR2
प्रश्न 3. किसी विद्युत् बल्ब का अनुमतांक 220 V : 100 W है। जब इसे 110 V पर प्रचलित करते हैं तब इसके द्वारा उपयुक्त शक्ति कितनी होगी?(a) 100 W
(b) 75 W
(c) 50 W
(d) 25 W
उत्तर: (d) 25 W
(a) 1 : 2
(b) 2 : 1
(c) 1 : 4
(d) 4 : 1
उत्तर: (c) 1 : 4
उत्तर: समान्तर क्रम (पावक्रम) में।
प्रश्न 6. किसी ताँबे के तार का व्यास 0.5 mm तथा प्रतिरोधकता 1.6 × 10-8 Ωm है। 10 Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लम्बे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दो गुने व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में क्या अन्तर आयेगा?
हल: दिया है:-
प्रश्न 7. किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर V के विभिन्न मानों के लिए उससे प्रवाहित विद्युत् धाराओं के संगत मान निम्नवत् हैं –
I(ऐम्पियर मे) |
0.5 |
1.0 |
2.0 |
3.0 |
4.0 |
V(वोल्ट में) |
1.6 |
3.4 |
6.7 |
10.2 |
13.2 |
हल: विभवान्तर V एवं विद्युत् धारा I में ग्राफ –
प्रश्न 8. किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12 V की बैटरी को संयोजित करने पर परिपथ में 2.5 m A विद्युत् धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।
हल: दिया है:- विभवान्तर V = 12 V, विद्युत् धारा I = 2.5 mA = 2.5 × 10-3 A
प्रश्न 9. 9 V की किसी बैटरी को 0.2 Ω, 0.3 Ω,0.4 Ω,0.5 Ω तथा 12 Ω के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। 12 Ω के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत् धारा प्रवाहित होगी?
हल: दिया है:
चूँकि प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में है इसलिए सभी प्रतिरोधकों में होकर समान धारा प्रवाहित होगी। अतः 12 Ω प्रतिरोधक से प्रवाहित अभीष्ट विद्युत् धारा = 0.67 A
प्रश्न 10. 176 Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में संयोजित करें कि 220 V के विद्युत् स्रोत के संयोजन से 5 A विद्युत् धारा प्रवाहित हो।
हल: दिया है:
विभवान्तर V = 220 V, विद्युत् धारा i = 5 A
मान लीजिए प्रत्येक R = 176 Ω के n प्रतिरोधक पार्श्वक्रम में संयोजित किए गए हैं तो पार्श्वक्रम में तुल्य
प्रतिरोध यदि Rp है तो –
अतः प्रतिरोधकों की अभीष्ट संख्या = 4 – उत्तर
प्रश्न 11. यह दर्शाइए कि आप 6 Ω प्रतिरोधक के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करोगे? प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध –
(i) 9 Ω
(ii) 4 Ω हो।
हल: (i) दो प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में तथा इस संयोजन को तीसरे प्रतिरोधक के श्रेणीक्रम में संयोजित करते हैं।
(ii) दो प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में तथा तीसरे को उक्त संयोजन के पार्श्वक्रम में संयोजित करते हैं।
प्रश्न 12. 220 V की विद्युत् लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10 W है। यदि 220 V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत् धारा 5 A है तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्ब पार्यक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं?
हल: दिया है:
प्रत्येक विद्युत् बल्ब का अनुमतांक P1 = 10 W; विद्युत् लाइन का विभवान्तर V = 220 V, अधिकतम अनुमत विद्युत् धारा I = 5 A है।
प्रश्न 13.किसी विद्युत् घण्टी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कुण्डलियों A तथा B की बनी हुई हैं जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोधक 24 Ω है तथा इन्हें पृथक-पृथक श्रेणीक्रम में अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है। यदि यह भट्टी 220 V विद्युत् स्रोत से संयोजित की जाती है तो तीनों प्रकरणों में विद्युत् धाराएँ क्या हैं?हल: दिया है:
Ra = Rb = R = 24 Ω, V = 220 V
मान लीजिए समान्तर क्रम में तुल्य प्रतिरोध = Rs
तथा पार्श्वक्रम में तुल्य प्रतिरोध = Rp, है तो
अतः अभीष्ट विद्युत् धाराएँ क्रमश: 9.2 A (लगभग), 4.6 A (लगभग) एवं 18.3 A (लगभग) – उत्तर
प्रश्न 14. निम्नलिखित परिपथों में प्रत्येक में 2 Ω प्रतिरोधक द्वारा उपमुक्त शक्तियों की तुलना कीजिए –
(i) 6 V की बैटरी से संयोजित 1 Ω तथा 2 Ω प्रतिरोधक श्रेणीक्रम संयोजन।
(ii) 4 V बैटरी से संयोजित 12 Ω तथा 2 Ω पार्श्वक्रम संयोजन।
हल:
(i) V = 6 V, R1 = 1 Ω एवं R2 = 2 Ω
मान लीजिए श्रेणीक्रम में तुल्य प्रतिरोधक = Rs तो
Rs = R1 + R2 = 1 Ω + 2 Ω = 3 Ω
अतः अभीष्ट शक्ति क्रमशः (i) 8 W एवं (ii) 8 W – उत्तर
प्रश्न 15. दो विद्युत् लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100 W : 220 V तथा दूसरे का 60 W : 220 V है। विद्युत् मेन्स के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित है। यदि विद्युत् आपूर्ति की वोल्टता 220 V है, तो विद्युत् में से कितनी धारा ली जाती है?
हल: दिया है:
हल: दिया है:
प्रश्न 17. 8 Ω प्रतिरोध का कोई विद्युत् हीटर विद्युत् मेन्स से 2 घण्टे तक 15 A विद्युत् धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊर्जा की दर परिकलित कीजिए।
हल: दिया है:-
(a) विद्युत् लैम्पों के तन्तुओं के निर्माण में प्रायः एक मात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?
(b) विद्युत् तापन युक्तियों जैसे ब्रेड-टोस्टर तथा विद्युत् इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रातुओं के क्यों बनाए जाते हैं?
(c) घरेलू विद्युत् परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है?
(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है?
(e) विद्युत् संचारण के लिए प्रायः कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है?
(a) बल्बों के तन्तु बनाने में बहुत पतले टंगस्टन के तारों का उपयोग होता है क्योंकि इनका गलनांक अति उच्च होता है। ये गर्म अवस्था में ऑक्सीकृत नहीं होते तथा ऊष्मा को रोककर प्रकाश उत्पन्न करते हैं।
(b) 1. 3 Ω एवं 6 Ω के प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में संयोजित करेंगे जिससे इनका तुल्य प्रतिरोध R’ प्राप्त
होगा।
फिर इस संयोजन को 2 Ω के प्रतिरोध से श्रेणीक्रम में संयोजित करेंगे इससे कुल तुल्य प्रतिरोध –
Ra = 2 Ω + 2 Ω = 4 Ω प्राप्त होगा।
2. तीनों प्रतिरोधकों को हम पार्श्वक्रम में संयोजित करेंगे जिससे तुल्य प्रतिरोध Rb प्राप्त होगा निम्न प्रकार है –
(c) श्रेणीक्रम में संयोजित युक्तियों में समान धारा प्रवाहित होती है जबकि प्रत्येक युक्ति को उनके ठीक प्रकार कार्य सम्पादन हेतु अलग-अलग धाराओं की आवश्यकता होती है जो पार्श्वक्रम में ही सम्भव है श्रेणीक्रम में नहीं।
इसके अतिरिक्त एक युक्ति के खराब होने पर श्रेणीक्रम में सभी युक्तियाँ कार्य करना बन्द कर देंगी जबकि पार्श्वक्रम में एक युक्ति के खराब होने या बन्द होने की स्थिति में अन्य युक्तियाँ कार्य करती रहेंगी।
श्रेणीक्रम में हम इच्छानुसार एक या अधिक युक्तियों को प्रयोग में नहीं ला सकते, सभी युक्तियों को एक साथ ही प्रयोग में लाना होगा जबकि पार्श्वक्रम में हम ऐसा कर सकते हैं। इसलिए युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करते हैं।
(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल A के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात् क्षेत्रफल बढ़ने पर प्रतिरोध कम होता है तथा कम होने पर बढ़ता है।
(e) विद्युत् संचारण के लिए प्राय: कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग किया जाता है क्योंकि इनकी प्रतिरोधकता बहुत कम है। अत: ये अतितप्त नहीं होते।
परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
प्रश्न 1. प्रतिरोध का मात्रक है –
(a) ऐम्पियर।
(b) वाट।
(c) ओम।
(d) वोल्ट।
उत्तर: (c) ओम।
प्रश्न 2. विद्युत् धारा का S.I. मात्रक है –
(a) जूल।
(b) ऐम्पियर।
(c) वोल्ट।
(d) वाट।
उत्तर:(b) ऐम्पियर।
प्रश्न 3.विद्युत् शक्ति का अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति में मात्रक है –
(a) अश्व शक्ति।
(b) वाट।
(c) किलोवाट घण्टा।
(d) ये सभी।
उत्तर: (b) वाट।
प्रश्न 4. विभवान्तर का मात्रक है –
(a) ऐम्पियर।
(b) वोल्ट।
(c) ओम।
(d) वाट।
उत्तर: (b) वोल्ट।
प्रश्न 5.विभवान्तर का मापक यन्त्र है –
(a) अमीटर।
(b) वोल्टमीटर।
(c) लैक्टोमीटर।
(d) शुष्क सेल।
उत्तर: (b) वोल्टमीटर।
प्रश्न 6. विद्युत् धारा का मापक यन्त्र है –
(a) अमीटर।
(b) वोल्टमीटर।
(c) लैक्टोमीटर।
(d) शुष्क सेल।
उत्तर: (a) अमीटर।
प्रश्न 7. एक सेल, एक प्रतिरोध, एक कुंजी एवं एक अमीटर निम्न तीन प्रकार से परिपथ में संयोजित किए गए हैं –
(a) (i) में अधिकतम होगा।
(b) (ii) में अधिकतम होगा।
(c) (iii) में अधिकतम होगा।
(d) सभी में समान होगा।
उत्तर: (d) सभी में समान होगा।
प्रश्न 8. निम्न परिपथों में 12 वोल्ट की बैटरी से संयोजित प्रतिरोध या प्रतिरोध संयोजन में उत्पन्न ऊष्मा का मान होगा –
(a) सभी स्थितियों में समान।
(b) (i) में अधिकतम।
(c) (ii) में अधिकतम।
(d) (iii) में अधिकतम।
उत्तर: (d) (iii) में अधिकतम।
प्रश्न 9. किसी धातु के तार की प्रतिरोधकता निर्भर करती है –
(a) इसकी लम्बाई पर।
(b) इसकी मोटाई पर।
(c) इसकी आकृति पर।
(d) इसके पदार्थ की प्रकृति पर।
उत्तर: (d) इसके पदार्थ की प्रकृति पर।
प्रश्न 10. एक विद्युत् बल्ब की तन्तु ने 1 A विद्युत् धारा ली। इस तन्तु के परिच्छेद से 16 s में प्रवाहित इलेक्ट्रॉनों की लगभग संख्या होगी
(a) 1020
(b) 1016
(c) 1018
(d) 1023
उत्तर: (a) 1020
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- शुद्ध जल विद्युत् का ……. होता है।
- एक अश्व शक्ति = … वाट।
- किसी तार का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के ……. होता है।
- किसी तार का प्रतिरोध उसके परिच्छेद के ………… होता है।
- किसी तार की प्रतिरोधकता पर उसकी आकृति का ……… पड़ता है।
उत्तर:
- कुचालक
- 746
- अनुक्रमानुपाती
- व्युत्क्रमानुपाती
- कोई प्रभाव नहीं।
जोड़ी बनाइए :-
स्तम्भ अ स्तम्भ ब
- विद्युत ऊर्जा का मात्रक (a) कूलॉम/सेकण्ड
- विद्युत सामर्थ्य का मात्रक (b) वोल्ट-मीटर
- प्रतिरोधकता का मात्रक (c) किलोवाट-घण्टा
- विद्युत धारा का मात्रक (d) किलोवाट
- विभवान्तर का मापन (e) ओम-मीटर
उत्तर:
- → (c)
- → (d)
- → (e)
- → (a)
- → (b)
सत्य/असत्य कथन
- अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में संयोजित करना चाहिए।
- I = V R अर्थात् विद्युत् धारा = विभवान्तर × प्रतिरोध।
- न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधकों को समान्तर क्रम में संयोजित करना चाहिए।
- हॉर्स पावर विद्युत् ऊर्जा का मात्रक है।
- किसी चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा एवं उसके सिरों के मध्य विभवान्तर के परस्पर सम्बन्ध का पता ओम ने लगाया था।
उत्तर:
- सत्य।
- असत्य।
- सत्य।
- असत्य।
- सत्य।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. विद्युत् विभव किसे कहते हैं? इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर: विद्युत् विभव:- “एकांक धनावेश को अनन्त से विद्युत् क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में किए गए कार्य को इस बिन्दु का विद्युत् विभव कहते हैं।” इसका मात्रक वोल्ट है।
प्रश्न 2. विद्युत् धारा किसे कहते हैं? इसका S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर: विद्युत् धारा:- “आवेश प्रवाह की दर को विद्युत् धारा कहते हैं।” दूसरे शब्दों में “एकांक समय में चालक तार में प्रवाहित आवेश की मात्रा को विद्युत् धारा कहते हैं।” विद्युत् धारा (I) = आवेश (q) / समय (t)
प्रश्न 3. विभवान्तर किसे कहते हैं? इसका मात्रक (S.I.) लिखिए।
उत्तर: विभवान्तर:- “विद्युत् क्षेत्र में एकांक धनावेश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने में जो कार्य किया जाता है, दोनों बिन्दुओं के बीच विभवान्तर कहलाता है।”
अर्थात् विभवान्तर (v) = किया गया कार्य (w) / आवेश (q) इसका मात्रक वोल्ट है।
प्रश्न 4.एक वोल्ट विभव से क्या समझते हो?
उत्तर: एक वोल्ट विभव:- “एकांक धनावेश को अनन्त से विद्युत् क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में यदि एक जूल कार्य करना पड़ता है तो विद्युत् क्षेत्र के उस बिन्दु पर विभव का मान एक वोल्ट होगा।”
प्रश्न 5. ओम का नियम लिखिए।
उत्तर: ओम का नियम:- “किसी बन्द परिपथ में संयोजित चालक में, जिसकी भौतिक परिस्थितियाँ अपरिवर्तित रहती हों, विद्युत् धारा प्रवाहित की जाए तो उसके सिरों के मध्य विभवान्तर और उसमें प्रवाहित विद्युत् धारा की तीव्रता में एक निश्चित अनुपात होता है, जिसे विद्युत् प्रतिरोध कहते हैं अर्थात्
विभवान्तर /विद्युत धारा = स्थिरांक (विद्युत प्रतिरोध), V / I = R या V = IR
प्रश्न 6. विद्युत् प्रतिरोध किसे कहते हैं? इसका मात्रक क्या है?
उत्तर: विद्युत् प्रतिरोध:- “चालक की परमाणु संरचना के कारण इलेक्ट्रॉन प्रवाह में उत्पन्न अवरोध के परिमाण को चालक का विद्युत् प्रतिरोध कहते हैं।” इसका मात्रक ओम होता है।
प्रश्न 7. “एक ओम प्रतिरोध” से क्या समझते हो?
उत्तर: एक ओम प्रतिरोध:- “यदि किसी चालक के सिरों पर एक वोल्ट का विभवान्तर आरोपित करने पर उस चालक में एक ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही हो तो उस चालक का प्रतिरोध एक ओम होता है।”
प्रश्न 8. विद्युत् प्रतिरोधकता (विशिष्ट प्रतिरोध) किसे कहते हैं? इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर: विद्यत् प्रतिरोधकता (विशिष्ट प्रतिरोध):- “एक मीटर लम्बे तथा एक वर्ग मीटर अनुप्रस्थ काट वाले चालक तार का प्रतिरोध, उस चालक पदार्थ की विद्युत् प्रतिरोधकता (विशिष्ट प्रतिरोध) कहलाता है।” इसका मात्रक ओम-मीटर है।
प्रश्न 9. विद्युत् शक्ति को परिभाषित कीजिए। इसका मात्रक क्या है?
उत्तर: विद्युत् शक्ति: “किसी विद्युत् उपकरण में विद्युत् ऊर्जा के व्यय की दर विद्युत् शक्ति कहलाती है।”
प्रश्न 10. “एक वाट विद्युत् शक्ति” क्या होती है?
उत्तर: एक वाट विद्युत् शक्ति:- “यदि किसी विद्युत् परिपथ में एक जूल प्रति सेकण्ड की विद्युत् ऊर्जा की हानि हो रही है तो परिपथ की विद्युत् शक्ति एक वाट कहलाती है।”
प्रश्न 15. विद्युत् धारा के ऊष्मीय प्रभाव से क्या समझते हो?
उत्तर: विद्युत् धारा का ऊष्मीय प्रभाव:- “जब किसी प्रतिरोधक में विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है तो ऊष्मा उत्पन्न होती है, विद्युत् धारा के द्वारा ऊष्मा उत्पन्न होने की यह परिघटना विद्युत् धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहलाती है।”
प्रश्न 16. विद्युत् धारा के ऊष्मीय प्रभाव के अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर: विद्यत धारा के ऊष्मीय प्रभाव के अनप्रयोग:- विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव का अनुप्रयोग विद्युत् ऊष्मीय युक्तियों में होता है; जैसे-विद्युत् आयरन, विद्युत् हीटर, गीजर, इलेक्ट्रिक केतली आदि घरेलू उपकरणों में तथा बल्बों में प्रकाश के लिए होता है। इसके अतिरिक्त फ्यूज के तार में विद्युत् उपकरणों को बचाने के लिए भी होता है।
प्रश्न 17.अमापी का प्रतिरोध कम या अधिक क्या होना चाहिए?
उत्तर: अमापी (अमीटर) के प्रतिरोध को शून्य के निकटतम होना चाहिए बल्कि आदर्श स्थिति में इसका मान शून्य होना चाहिए अन्यथा यह विद्युत् धारा का वास्तविक मापन नहीं कर सकता।
प्रश्न 18.फ्यूज वायर किस प्रकार विद्युत् उपकरणों को नष्ट होने से बचाता है?
उत्तर: जब भी विद्युत् परिपथ में अतिभारक या लघु पाथन के कारण धारा का मान बढ़ता है तो फ्यूज वायर में ऊष्मा उत्पन्न होने के कारण उसका ताप बढ़ जाता है तथा फ्यूज वायर पिघल जाता है जिसमें परिपथ टूट जाता है और उपकरण बच जाते हैं।
प्रश्न 19. विद्युत् ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक क्या है? इसे जूल के पदों में लिखिए।
उत्तर: विद्युत् ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक किलोवाट घण्टा (kWh) होता है। 1
kWh = 3.6 × 106 J
प्रश्न 20.घरेलू परिपथ में समान्तर क्रम में उपकरणों का संयोजन क्यों किया जाता है?
उत्तर:घरेलू परिपथ में विद्युत् उपकरणों का संयोजन समान्तर क्रम में इसलिए किया जाता है ताकि उन सभी उपकरणों को समान विभवान्तर उपलब्ध हो सके।
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