कार्य तथा ऊर्जा
प्रश्न 1. किसी वस्तु पर 7 N का बल लगता है। मान लीजिए बल की दिशा में विस्थापन 8 m है (संलग्न चित्र)। मान लीजिए वस्तु के विस्थापन के समय लगातार वस्तु पर बल लगता रहता है। इस स्थिति में किया हुआ कार्य कितना होगा?
∵ कार्य (W) = आरोपित बल (F) x बल की दिशा में विस्थापन
कार्य (W) = 7 N x 8 m = 56 N m = 56 J
अतः अभीष्ट कार्य = 56 J.
उत्तर: जब बल वस्तु की विस्थापन की दिशा में लगा हो।
उत्तर: किया हुआ कार्य (W) = आरोपित बल (F) x बल की दिशा में विस्थापन (S)
उत्तर: एक जूल (1J) कार्य:
“यदि किसी वस्तु पर एक न्यूटन (1 N) का बल आरोपित होने पर वस्तु बल की दिशा में एक मीटर विस्थापित हो तो बल द्वारा उस वस्तु पर किए गए कार्य का परिमाण एक जूल कार्य कहलाता है।”
हल: ज्ञात है:
लगाया गया बल
F = 140 N
विस्थापन S= 15 m
ज्ञात करना है:
किया गया कार्य W = ?
किया गया कार्य (W) = बल (F) x बल की दिशा में विस्थापन (S)
⇒ w = 140 N x 15 m
= 2100 Nm (J)
प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 169
उत्तर: गतिज ऊर्जा:- “किसी वस्तु में उसकी गति के कारण कार्य करने की क्षमता उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहलाती है।”
उत्तर: गतिज ऊर्जा KE = ½ mv2
गतिज ऊर्जा Ek = 12mv2
12m(5)2 = 25
m = 25×2525 =2 kg
जब वेग को दो गुना कर दिया जाय अर्थात् v1 = 2 x 5 = 10 m s-1
गतिज ऊर्जा Ek1 = 12 x 2 x (10)2 = 100 J
अतः अभीष्ट गतिज ऊर्जा = 100 J.
जब वेग को तीन गुना कर दिया जाय अर्थात् v2 = 3 x 5 = 15 m s-1
गतिज ऊर्जा Ek2 = x 2 x (15)2 = 225 J
अतः अभीष्ट गतिज ऊर्जा = 225 J.
उत्तर: शक्ति: “किसी वस्तु की कार्य करने की दर उसकी शक्ति कहलाती है।” अर्थात्
उत्तर: एक वाट शक्ति: “जब कोई वस्तु एक सेकण्ड में एक जूल कार्य करती है तो उस वस्तु की शक्ति एक वाट शक्ति कहलाती है।”
हल:
अतः अभीष्ट शक्ति = 100W.
उत्तर: औसत शक्ति-“उपयोग की गयी कुल ऊर्जा एवं उसके उपयोग में लगे कुल समय के अनुपात को औसत शक्ति कहते हैं।” अर्थात्
- सूमा एक तालाब में तैर रही है।
- एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
- एक पवन चक्की (विण्ड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
- एक हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
- एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
- अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
- एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।
- कार्य हो रहा है क्योंकि बल भी है और विस्थापन भी।
- कार्य नहीं हो रहा क्योंकि बल है, विस्थापन नहीं।
- कार्य हो रहा है क्योंकि बल भी है और विस्थापन भी।
- कार्य नहीं हो रहा क्योंकि न तो बल है और विस्थापन ही।
- कार्य हो रहा है क्योंकि बल भी है और विस्थापन भी।
- कार्य नहीं हो रहा है क्योंकि न तो बल है और न विस्थापन ही।
- कार्य हो रहा है क्योंकि बल भी है और विस्थापन भी।
उत्तर: शून्य कार्य किया गया क्योंकि गुरुत्व बल ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर लग रहा है जबकि विस्थापन उसकी क्रियारेखा के लम्बवत् अर्थात् क्षैतिज रेखा में है।
उत्तर: बैटरी में निहित रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है फिर विद्युत ऊर्जा बल्ब द्वारा प्रकाश ऊर्जा एवं ऊष्मीय ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
हल:बल द्वारा किया गया कार्य = वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन
w = 12mv2 = 12m (u2 – v2)
= 12x 20 x [5)2 – (2)]= 10 x (25 – 4) = 10 x (+21) = + 210 J
अतः बल द्वारा किया गया अभीष्ट कार्य = 210 J.
उत्तर: बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा क्योंकि गुरुत्वीय बल ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर है और विस्थापन इसकी क्रियारेखा के लम्बवत् क्षैतिज दिशा में है।
उत्तर: ऊर्जा संरक्षण के नियम का कोई उल्लंघन नहीं हो रहा है क्योंकि स्थितिज ऊर्जा पिण्ड की गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती जा रही है।
उत्तर: पेशीय स्थितिज ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में रूपान्तरण।
उत्तर: कोई ऊर्जा रूपान्तरण नहीं हो रहा है। हमारे द्वारा व्यय की गई ऊर्जा चट्टान के जड़त्व के विरुद्ध व्यय हो गयी।
हल:ज्ञात है: पिण्ड का द्रव्यमान m = 40 kg
पिण्ड की ऊँचाई h = 5 m
गुरुत्वीय त्वरण g = 10 ms-2
प्रश्न 11. पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जायेगा? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर: गुरुत्व बल द्वारा शून्य कार्य किया जायेगा। क्योंकि गुरुत्व बल के अनुदिश विस्थापन शून्य है।
प्रश्न 12. क्या किसी पिण्ड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में इसका विस्थापन हो सकता है? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर: नहीं हो सकता।
प्रश्न 13. कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर: कार्य नहीं किया क्योंकि विस्थापन नहीं हुआ।
प्रश्न 14. एक विद्युत हीटर (ऊष्मक) की घोषित शक्ति 1500 W है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा?
हल: ऊर्जा = शक्ति x समय
= 1500 W x 10 घण्टे
15,000 वाट घण्टे = 15 किलोवाट घण्टे (यूनिट)
अतः अभीष्ट प्रयुक्त ऊर्जा -15 यूनिट (kWh).
प्रश्न 15. जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समय पश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है। अन्ततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है?
उत्तर: चित्रानुसार जब हम किसी लोलक OA को एक ओर B तक ले जाकर छोड़ते हैं तो वह 8 से A, A से C पुन: C से A तक दोलन करता है।
इस स्थिति में B पर गोलक में अधिकतम स्थितिज ऊर्जा होती है तथा गतिज ऊर्जा शून्य होती है, गोलक को छोड़ने पर वह A की तरफ आता है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा में कमी होती जाती है। यह कमी गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। स्थिति A पर अधिकतम गतिज ऊर्जा तथा शून्य स्थितिज ऊर्जा होती है।
कुल ऊर्जा का योग नियत रहता है। B से C तक गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित होती जाती है और पुन: C से A तक स्थितिज ऊर्जा गतिज | ऊर्जा में। इस प्रकार यह ऊर्जा संरक्षण नियम का पालन करता है।
उत्तर: चूँकि पिण्ड की गतिज ऊर्जा Ek = 12mv2 है इसलिए इसे विरामावस्था में लाने के लिए 12mv2 के बराबर कार्य करना होगा।
हल: कार का वेग = 60 km/h
प्रश्न 18. निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिण्ड पर बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लम्बे तीर से प्रदर्शित की गयी है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।
स्थिति (a) में कार्य शून्य है।
स्थिति (b) में कार्य धनात्मक है।
स्थिति (c) में कार्य ऋणात्मक है।
उत्तर: हाँ, यह सम्भव है। जब बलों का परिणामी बल शून्य हो अथवा वस्तु के जड़त्व से कम हो।
हल: व्यय ऊर्जा (kWh में) = 4×500×101000 = 20 kWh
उत्तर:पिण्ड की गतिज ऊर्जा पृथ्वी तल से संघट्ट में व्यय हो जाती है।
परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर (बहु-विकल्पीय प्रश्न)
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) अचर रहती है
(d) पहले बढ़ती है, फिर घटती है
उत्तर: (c) अचर रहती है
(a) परिवर्तित नहीं होती
(b) प्रारम्भिक ऊर्जा की दो गुनी हो जाती है
(c) प्रारम्भिक ऊर्जा की चार गुनी हो जाती है
(d) प्रारम्भिक ऊर्जा की सोलह गुनी हो जाती है।
उत्तर: (a) परिवर्तित नहीं होती
उत्तर: (d) 180°
प्रश्न 4. 10 kg द्रव्यमान के लोहे तथा 3.5 kg द्रव्यमान के ऐलुमिनियम के गोलों के व्यास समान हैं। दोनों गोले किसी मीनार से एक साथ गिराये जाते हैं। जब वे भूतल से 10 m ऊपर होते हैं, तब इनके समान होते/होती हैं –
(a) त्वरण
(b) संवेग
(c) स्थितिज ऊर्जा
(d) गतिज ऊर्जा
उत्तर: (a) त्वरण
उत्तर: (d) शून्य
प्रश्न 6. निम्नलिखित में कौन ऊर्जा का मात्रक नहीं है?
(a) जूल
(b) न्यूटन-मीटर
(c) किलोवाट
(d) किलोवाट घण्टा
उत्तर: (c) किलोवाट
प्रश्न 7. किसी पिण्ड पर किया गया कार्य निम्नलिखित में से किस पर निर्भर नहीं करता?
(a) विस्थापन
(b) लगाया गया बल
(c) बल एवं विस्थापन के बीच कोण
(d) पिण्ड का प्रारम्भिक वेग।
उत्तर: (d) पिण्ड का प्रारम्भिक वेग।
प्रश्न 8. बाँध के संग्रहीत जल में –
(a) कोई ऊर्जा नहीं होती
(b) विद्युत ऊर्जा होती है
(c) गतिज ऊर्जा होती है
(d) स्थितिज ऊर्जा होती है
उत्तर: (d) स्थितिज ऊर्जा होती है
प्रश्न 9. एक पिण्ड h ऊँचाई से गिर रहा है। h/2 ऊँचाई गिरने के पश्चात् इसमें होगी –
(a) केवल स्थितिज ऊर्जा
(b) केवल गतिज ऊर्जा
(c) आधी स्थितिज ऊर्जा आधी गतिज ऊर्जा
(d) अधिक गतिज ऊर्जा और कम स्थितिज ऊर्जा।
उत्तर: (c) आधी स्थितिज ऊर्जा आधी गतिज ऊर्जा
प्रश्न 10. सामर्थ्य P एवं कार्य W में सम्बन्ध होता है –
(a) P = Wt
(b) t = WP
(c) W = Pt
(d) PWt = 1.
उत्तर: (c) W = Pt
उत्तर: (b) 3.6 x 106 जूल
प्रश्न 12. स्थितिज ऊर्जा के प्रकार हैं –
(a) गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
(b) प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा
(c) ये दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (c) ये दोनों
प्रश्न 13. एक व्यक्ति 10 kg भार सिर पर रखकर 10 मीटर क्षैतिज तल पर दूरी तय करता है। उसके द्वारा किया गया कार्य होगा –
(a) शून्य
(b) 100 kg भार मीटर
(b) 100 जूल
(d) 1 जूल
उत्तर: (a) शून्य
प्रश्न 14. ऊर्जा का S.I. मात्रक होगा –
(a) वाट
(b) अश्व शक्ति
(c) अर्ग
(d) जूल
उत्तर: (d) जूल
प्रश्न 15. कार्य करने की क्षमता को कहते हैं –
(a) ऊर्जा
(b) कार्य
(c) शक्ति
(d) ऊष्मा
उत्तर: (a) ऊर्जा
रिक्त स्थानों की पूर्ति
जब वस्तु का विस्थापन आरोपित बल की दिशा में हो तो कार्य ……………. होता है।
जब वस्तु का विस्थापन आरोपित बल के लम्बवत् हो तो कार्य ……………. होता है।
विद्युत् ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक ……………. होता है।
एक अश्व शक्ति …………… वाट के बराबर होता है।
सामर्थ्य का S.I. मात्रक …………… होता है।
कार्य का S.I. मात्रक ………….. है।
उत्तर:
- महत्तम
- शून्य
- किलोवाट-घण्टा
- 746
- वाट
- जूल।
सही जोड़ी बनाना :-
स्तम्भ अ स्तम्भ ब
अश्व शक्ति (a) शक्ति
गतिज ऊर्जा (b) न्यूटन x मीटर
1 अश्व शक्ति (c) वाट
कार्य करने की दर (d) 1/2 mv2
जूल 746 (e) वाट
उत्तर:-
- → (iii)
- → (iv)
- → (v)
- → (i)
- → (ii).
सत्य/असत्य कथन :-
कार्य करने की दर ऊर्जा कहलाती है।
गति के कारण कार्य करने की क्षमता गतिज ऊर्जा होती है।
सामर्थ्य का S.I. मात्रक अश्व शक्ति होता है।
दीवार पर बल लगाने से शून्य कार्य होता है।
प्रत्येक प्रकार की ऊर्जा का S.I. मात्रक जूल होता है।
गतिज ऊर्जा का सूत्र E = mgh होता है।
उत्तर:
- असत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- सत्य
- असत्य।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
प्रश्न 1. यदि बल F एवं विस्थापन S के मध्य कोण हो तो किये कार्य का व्यंजक लिखिए।
उत्तर: कार्य (W) = बल (F) x विस्थापन (S) x cos θ
प्रश्न 2. कार्य का S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर: जूल।
प्रश्न 3. ऊर्जा का S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर: जूल।
प्रश्न 4. एक किलोवाट-घण्टा में कितने जूल होते हैं?
उत्तर: 3.6
x 106 जूल।
प्रश्न 5. कार्य करने की क्षमता क्या कहलाती है?
उत्तर: ऊर्जा।
प्रश्न 6. वस्तु की गति के कारण कार्य करने की क्षमता को क्या कहते हैं?
उत्तर: गतिज ऊर्जा।
प्रश्न 7. गतिज ऊर्जा का व्यंजक लिखिए।
उत्तर: गतिज ऊर्जा Ek
= 12m2
प्रश्न 8. किसी वस्तु की विशेष स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता क्या कहलाती है?
उत्तर: स्थितिज ऊर्जा।
प्रश्न 9. गुरुत्वीय बल के कारण कार्य करने की क्षमता क्या कहलाती है?
उत्तर: गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा।
प्रश्न 10. गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर: गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जाEp = mgh.
प्रश्न 11. कार्य करने की दर को क्या कहते हैं?
उत्तर: शक्ति (सामर्थ्य)।
प्रश्न 12. सामर्थ्य (शक्ति) का S. I. मात्रक लिखिए।
उत्तर: वाट।
प्रश्न 13. कार्य (W) एवं शक्ति (सामर्थ्य P) में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर: शक्ति (सामर्थ्य)
उत्तर: शक्ति (सामर्थ्य) का।
उत्तर: 746 वाट।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
उत्तर: कार्य-“किसी वस्तु पर लगे बल एवं बल की दिशा में पिण्ड के विस्थापन के गुणनफल को कार्य कहते हैं।” अर्थात्
कार्य (W) = बल (F) x बल की दिशा में विस्थापन (S)
कार्य का मात्रक – जूल।
उत्तर: ऊर्जा: “किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता उस वस्तु की ऊर्जा कहलाती है।”
ऊर्जा का मात्रक – जूल।
उत्तर: स्थितिज ऊर्जा: “किसी वस्तु की स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।”
उत्तर: धनात्मक कार्य: “किसी वस्तु पर बल आरोपित करने पर यदि विस्थापन बल की दिशा में हो तो किया गया कार्य धनात्मक कार्य कहलाता है।”
उत्तर: ऋणात्मक कार्य:- किसी वस्तु पर बल आरोपित करने पर यदि विस्थापन बल की दिशा के विपरीत दिशा में हो तो किया गया कार्य ऋणात्मक कार्य कहलाता है।
उत्तर: उसकी संहति दोगुनी करने पर गतिज ऊर्जा दोगुनी होगी जबकि वेग दोगुना करने पर गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जायेगी।
उत्तर: यदि किसी पिण्ड का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाये तो उसकी गतिज ऊर्जा पहले की दोगुनी हो जायेगी, क्योंकि गतिज ऊर्जा द्रव्यमान के समानुपाती होती है।
उत्तर: यदि किसी पिण्ड का वेग आधा कर दिया जाये तो उसकी गतिज ऊर्जा पहले की 14 (चौथाई) रह जायेगी, क्योंकि गतिज ऊर्जा वेग के वर्ग के समानुपाती होती है।
उत्तर: ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Energy): “किसी निकाय की सम्पूर्ण ऊर्जा का योग सदैव नियत रहता है।”
प्रश्न 12. क्या किसी पिण्ड का संवेग शुन्य होने पर भी उसमें यान्त्रिक ऊर्जा हो सकती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: हाँ, हो सकती है क्योंकि संवेग शून्य होने पर वेग शून्य होगा तथा गतिज ऊर्जा शून्य हो जाएगी लेकिन स्थितिज ऊर्जा तो हो ही सकती है अत: यान्त्रिक ऊर्जा हो सकती है।
प्रश्न 13. क्या किसी पिण्ड की यान्त्रिक ऊर्जा शून्य होने पर उसमें संवेग हो सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: संवेग नहीं हो सकता क्योंकि यान्त्रिक ऊर्जा शून्य होने से गतिज एवं स्थितिज दोनों ऊर्जाएँ शून्य होंगी। इसलिए वेग भी शून्य होगा, अतः संवेग शून्य होगा।
हल: ज्ञात है:
∆t = 1 मिनट = 60 s
उत्तर: व्यक्ति का भार पृथ्वी की अपेक्षा A ग्रह पर आधा है। इसलिए ग्रह पर गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण के मान का आधा होगा। अतः उतने ही पेशीय बल से वह दो गुनी अर्थात् 2 x 0.4 m = 0.8 m ऊँची छलाँग लगा सकेगा।
उत्तर: हाँ, यह सम्भव है, यदि पिण्ड वृत्ताकार पथ पर चल रहा है, क्योंकि यहाँ पर बल सदैव विस्थापन की दिशा के लम्बवत् कार्य करता है।
हल: टकराते समय गेंद की ऊर्जा = mgh = m x 10 x 10 = 100 mJ
चूँकि ऊर्जा में ह्रास 40% है अतः 60% ऊर्जा शेष रहेगी।
माना गेंद h’ ऊचाई तक ऊपर उठती है तो
mgh’ = 100 m का 60%
10 mh’ = 60 m = h’ ⇒ 6 m
अतः गेंद अभीष्ट ऊँचाई 6 m तक उठेगी।
हल: प्रयुक्त विद्युत ऊर्जा
ज्ञात है:
P = 1200w
t = 30, mt = 30/60 hr
दिन = 30
(a) आप दस सीढ़ियाँ चढ़ते हैं। प्रत्येक सीढ़ी की ऊर्ध्वाधर ऊँचाई 20 सेमी है।
(b) कोई व्यक्ति अपने सिर पर 10 kg भार उठाए हुए है। वह क्षैतिज समतल पर 20 m जाता है।
उत्तर:
(a) इस स्थिति में कार्य हो रहा है, क्योंकि गुरुत्वीय बल के विपरीत दिशा में 10 x 20 सेमी = 2 मीटर (m) विस्थापन करने में हमको कार्य करना पड़ रहा है।
(b) इस स्थिति में कार्य नहीं हो रहा है, क्योंकि गुरुत्वीय बल ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर है तथा विस्थापन उसके लम्बवत् क्षैतिज तल में।
उत्तर: शक्ति (सामर्थ्य): “कार्य करने की दर को शक्ति (सामर्थ्य) कहते हैं।”
शक्ति (सामर्थ्य) का मात्रक – ‘वाट’।
लघु उत्तरीय प्रश्न
अथवा
h ऊँचाई पर स्थित m द्रव्यमान के पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक स्थापित कीजिए।
उत्तर: मान लीजिए कि कोई पिण्ड जिसका द्रव्यमान m है तथा जो पृथ्वी तल से h ऊँचाई पर स्थित है तो पिण्ड में सन्निहित स्थितिज ऊर्जा गुरुत्व के विरुद्ध पिण्ड को उठाने में सम्पन्न कार्य के बराबर होगी। चूँकि पिण्ड को उठाने में आवश्यक न्यूनतम बल का मान उसके भार mg के बराबर होगा, जहाँ g गुरुत्वीय त्वरण है।
W = mgh
⇒ स्थितिज ऊर्जा Ep = mgh
अतः गुरुत्व के विरुद्ध सम्पन्न कार्य = बल (भार) x बल की दिशा में विस्थापन
W = mgh
⇒ स्थितिज ऊर्जा Ep = mgh प्रश्न 2. एक लड़का किसी सीधी सड़क पर 5 N के घर्षण बल के विरुद्ध गतिमान है। 1.5 km की दूरी चलने के बाद वह 100 m त्रिज्या के गोल चक्कर (संलग्न चित्र) पर सही भाग भूल जाता है। परन्तु वह उस वृत्ताकार मार्ग पर डेढ़ चक्कर लगाता है और फिर 2.0 km तक आगे जाता है। उसके द्वारा चित्र 11.5 किया गया कार्य परिकलित कीजिए।
घर्षण बल F = 5 N
प्रश्न 3. सरल रेखा में गतिमान किसी पिण्ड पर गति की दिशा में कुछ दूरी तक एक नियत बल F लगाकर इसका वेग बढ़ाया गया है। सिद्ध कीजिए कि पिण्ड की गतिज ऊर्जा में वृद्धि पिण्ड पर बल द्वारा किए गए कार्य के बराबर होती है।
हल: माना दो पिण्डों के द्रव्यमान क्रमशः m1 एवं m2 जहाँ m1 < m2 तथा वेग v1 एवं हैं तो प्रश्न के अनुसार
प्रश्न 5. 35 kg द्रव्यमान की एक लड़की 5 kg द्रव्यमान की एक ट्रॉली पर बैठी है। ट्रॉली पर बल लगाकर इसे 4 m s-1 का प्रारम्भिक वेग प्रदान किया जाता है। ट्रॉली 16 m दूर चलकर रुक जाती है –
(a) ट्रॉली पर कितना कार्य किया गया?(b) लड़की ने कितना कार्य किया?
हल: ज्ञात है: लड़की का द्रव्यमान m1 = 35 kg
= (35 + 5) (-0.5) = 40 (-0.5) = – 20 N
(a)
उत्तर: शक्ति: “कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं।” किलोवाट एवं किलोवाट-घण्टा में अन्तर-
किलोवाट शक्ति (सामर्थ्य) का मात्रक है जबकि किलोवाटघण्टा ऊर्जा का मात्रक है।
संख्यात्मक भाग का हल :
ज्ञात है:
झरने की ऊँचाई h = 20 m
समय t = 1 मिनट = 60s
जल का द्रव्यमान
m = 2000 टन
प्रश्न 7. शक्ति और वह चाल जिससे कोई वस्तु ऊपर उठायी जाती है, में क्या सम्बन्ध होता है? 100W शक्ति पर कार्य करता हुआ कोई व्यक्ति कितने किलोग्राम द्रव्यमान को 1 m s-1 की नियत चाल से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर उठा सकता है। (g = 10 m s-1)
हल: शक्ति एवं चाल में सम्बन्ध:-संख्यात्मक भाग:-ज्ञात है:
शक्ति P = 100
प्रश्न 8. वाट की परिभाषा लिखिए। किलोग्राम को जूल प्रति सेकण्ड के पदों में व्यक्त कीजिए। 150 kg का कोई कार का इंजन प्रत्येक kg के लिए 500 W शक्ति विकसित करता है। कार को 20 m s-1 चाल से गति कराने के लिए इंजन को कितना बल लगाना पड़ेगा?
(i) 1.0g द्रव्यमान की तितली 0.5 m s-1 की चाल से ऊपर की ओर उड़ती है।
तितली का द्रव्यमान ma = 1.9g
बॉक्स का द्रव्यमान m = 250 kg
ऊँचाई में विस्थापन h = 1 m
= 250 x 10 x 1 = 2500J
प्रश्न 11:ऊर्जा संरक्षण के नियम को उदाहरण देकर समझाइए।
- जब कोई वस्तु (पिण्ड) ऊपर से गिराया जाता है तो उसकी प्रारम्भिक अवस्था में गतिज ऊर्जा शून्य होती है तथा स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है। जैसे-जैसे पिण्ड नीचे गिरता जाता है उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है तथा स्थितिज ऊर्जा घटती जाती है। हर स्थिति में उसकी कुल ऊर्जा का योग नियत रहता है। इससे ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन होता है।
- दोलन करते हुए सरल लोलक में अन्तर बिन्दुओं पर शून्य गतिज ऊर्जा एवं अधिकतम स्थितिज ऊर्जा होती है तथा मध्यमान स्थिति में अधिकतम गतिज ऊर्जा तथा शून्य स्थितिज ऊर्जा होती है तथा प्रत्येक स्थिति में दोनों ऊर्जाओं का कुल योग नियत रहता है।
प्रश्न 12. 10 kg द्रव्यमान की एक वस्तु को धरती से 6 मी. की ऊँचाई तक उठाया गया है, इस वस्तु में विद्यमान ऊर्जा का परिकलन कीजिए। जबकि (g = 9.8 m/s2) है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 2. कोई स्वचालित इंजन किसी 1000 kg द्रव्यमान की कार (A) को 36 km h-1 की चाल से समतल सड़क पर खींचता है। यदि वह गति 100 N घर्षण बल के तुल्य है तो इंजन की शक्ति परिकलित कीजिए। अब मान लीजिए 200 m चलने के पश्चात् कार समान द्रव्यमान की किसी दूसरी स्थिर कार (B) से टकराकर स्वयं विरामावस्था में आ जाती है। मान लीजिए उसी क्षण इसका इंजन भी रुक जाता है। अब कार (B) का इंजन चालू नहीं है और संघट्ट के पश्चात् यह उसी समतल सड़क पर चलना प्रारम्भ कर देती है। संघट्ट के तुरन्त पश्चात् कार B की चाल परिकलित कीजिए।
36×518
= 10 m s-1
___________________________
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